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Hindi हिंदी


 Hindi - हिन्दी

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचार प्रकट कर सकते हैं हमारे संविधान में 22 भाषाओं को राष्ट्रभाषा का स्थान प्राप्त है। अर्थात भारत में यह सम्मान एक आश्चर्यजनक है यही नहीं इसके अलावा भी अनेक भाषाएं एवं एवं बोलियां हमारे देश में बोली जाती हैं।


परंतु हिंदी भाषा इन सभी भाषाओं से परे है। सभी जगह बोली जाती है और समझी जाती है इसे बोलने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है लगभग संपूर्ण भारत में हिंदी भाषा को माना जाता है और यह एक भाषा है और यह एक भाषा राष्ट्र की भाषा है।






हिन्दी भाषा के भाव प्रवणता एवं विस्तार के कारण इसे राष्ट्रभाषा का स्थान दिया गया है। 14 सितंबर सन 1947 ई. को संविधान के अनुच्छेद 343 - I में हिंदी को राष्ट्रभाषा एवं देवनागरी लिपि को स्वीकार किया गया है। 
आज लगभग कई साल बीत जाने पर कि हिंदी को अपना स्थान नहीं मिला है। 






जब से हमारा संविधान लागू हुआ है, तब से भले ही हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया गया है किंतु उसका प्रयोग आज भी देखने को बहुत ही कम मिलता है। 
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार ,हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में हिंदी का बोलबाला है।

आज भी सभी कार्य अंग्रेजी में ही संपन्न होते हैं भारत की आजादी से लेकर आज तक की प्रशासनिक अकुशलता के लिए इस भारत देश की दूषित राजनीति ही जिम्मेदार है। आज हिंदी भाषा देश प्रेम का पर्याय बन चुकी है तथा देश भक्त इसका प्रचार प्रसार भी जोरों से कर रहे हैं। 





14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस के नाम पर रैली निकाली जाती है नारे लगाए जाते हैं नेताओं के भाषण होते हैं एवं करोड़ों रुपयों का खर्चा होता है।किंतु कोई भी सकारात्मक रूप सामने नहीं आता। 

तमिलनाडु को छोड़कर हर राज्य में हिंदी किसी ना किसी स्तर पर अवश्य पढ़ाई जाती है तमिलनाडु की जनता भी हिंदी पढ़ना चाहती है लेकिन वहां राजनीतिक विरोध है इसके कारण वहां पर हिंदी भाषा का प्रचलन बहुत कम है और इसका उपयोग भी बहुत कम है।

हिन्दी के प्रचार प्रकार की ज़िम्मेदारी केवल सरकार पर छोड़ना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए हमें भी बढ़-चढ़कर इस में भाग लेना चाहिए ताकि हिंदी भाषा को अधिक से अधिक भारत के संपूर्ण राज्यों में फैलाया जा सके और उसका सम्मान किया जा सके। 

जब तक हम अन्य भाषाओं की गुलामी नहीं छोड़ेंगे तब तक हमें स्वतंत्र देश का स्वतंत्रता नागरिक होने का गौरव का अनुभव कभी नहीं होगा। राष्ट्र के विकास के लिए हिंदी का प्रयोग अनिवार्य है। 







अब आज वह समय आ गया है, जब हमें यह सिद्ध करके दिखाना होगा कि हम के अंग्रेजी बिना भी हम जी सकते हैं, एवं सभी भारतीय भाषाओं को अपनाते हुए विश्व के लोगों को बताना है कि की हमारी भाषाएं सरल, सहज और सुसंस्कृत हैं, प्राचीन है एवं गंभीर भी है।


आज हमारे देश की स्थिति व भारत राष्ट्री की राष्ट्रीय भाषा हिंदी की दयनीय स्थिति के लिए हमारे देश के कर्णधार जिम्मेदार हैं। वे अपने स्वार्थ सिद्भी के लिए अंग्रेजी से इतना मोह पाल रहे हैं कि अब वही अंग्रेजी राष्ट्र रुपी शरीर में कैंसर बन चुकी है। अंग्रेजी दासता की इन बेड़ियो को भी हमें उसी प्रकार काटना होगा। जिस प्रकार हमने विदेशी शासन को उखाड़ फेंका था। 





आशा करता हूँ  की आप सभी हिन्दी पाठकों को यह जानकारी अच्छी लगी होगी अगर कोई सलाह देना चाहते है तो कृपया कमेंट मैं जरुर बताए ओर इस अन्य लोगों से भी साझा करें। 

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